गुरु नानक देव जी की कथा
गुरु नानक देव जी की कथा
आदरणीय नानक देव जी गाँव तलवंडी पश्चिमी पाकिस्तान , कालू राम मेहता के घर पर इनका जन्म सन 1469 में हुआ । पिता जी पेशे से पटवारी थे ।
बचपन से ही इनको एक बृजलाल पांडे गीता का ज्ञान कराया करता था जैसा की पवित्र हिन्दू धर्म मे ब्राह्मण लोग कथा सुनाया करते थे पहले हमारे माता पिता / पूर्वज थे वो बहुत ही नेक व्यवहार वाले होते थे वो अपने बच्चों को धार्मिक ज्ञान अवश्य ग्रहण करवाते थे ताकि ये बिगड़े नही बुराई से बच कर रहे हमारी सन्तान ,
नानक साहेब जी को फ़ारसी के अध्यापक भी पढ़ाया करते थे , बृजलाल पांडे से उन्होंने जो ज्ञान ग्रहण किया था की श्री विष्णु जी अजर अमर है इनका कोई माता पिता नही ,श्री कृष्ण जी ही विष्णु जी के अवतार थे श्री कृष्ण जी ने ही गीता का ज्ञान दिया जैसा कि पूरे हिन्दू समाज के अंदर ये लोकवेद प्रचलित है ऐसा ही उनको ज्ञान था
नानक साहेब जी की बहन सुल्तानपुर में ब्याही थी, उनका बहनोई जयराम नाम था उनका , उन्होंने सुल्तानपुर के नवाब के यहाँ नोकरी दिलवा दी
फिर नानक जी वही रहने लगे गए थे इनके दो पुत्र (लख्मीचंद ओर श्री चंद) हुए थे
सुल्तानपुर शहर के साथ से एक बेई नाम की नदी बहती है प्रतिदिन सभी गांव/नगर के निवासी वहा पर स्नान करने के लिए जाया करते थे घाट बना रखा था, गुरु नानक देव जी भी हर रोज स्नान के लिए जाया करते थे
ये पिछले जन्म के पुण्य कर्मी आत्मा थे किसी की आत्मा नही दुखाया करते थे दरिया में स्नान करके किनारे बैठ कर घण्टो चिंतन किया करते थे ओर गायत्री मंत्र का भी जाप किया करते थे जो प्रतिदिन का नियम बना रखा था
ओर गीता जी के श्लोक भी याद किया करते थे।
परमात्मा की वाणी में लिखा है :-
घोता मारु स्वर्ग में जा बैठु पाताल।
गरीबदास ढूंढता फिरू मेरे हीरे मोती लाल।।
ऋग्वेद के मंडल 9 सूक्त 86 मंत्र 26 27 ,मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1,2, मंडल 9 सूक्त 96मंत्र 18 -19-20 मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है वो परमात्मा भक्ति करने वाले भक्तों को अपने तीसरे मुक्ति धाम से सशरीर बिजली जैसी गति से आकर एक जिंदा महात्मा का रूप बनाकर मिलता है और उन्हें सद्ज्ञान करता है वही परमात्मा बेई नदी के किनारे गुरु नानक देव जी को आकर मिले उन्हें सद्ज्ञान कराया ओर सतलोक लेकर गए वहा परमात्मा ने कहा कि अभी में (कबीरपरमात्मा) वर्तमान कलयुग में काशी शहर में एक जुलाहे की लीला कर रहा हु आप वहा आना आपको वही सतनाम मिलेगा। नानक साहेब जी सतलोक में तीन दिन ओर तीन रात रहे।
फिर तीन दिन बाद नानक साहेब जी वापस लौटे ओर प्रथम उदासी काशी शहर वर्तमान वारणशी को की फिर वहा परमात्मा को एक झोपड़ी में बैठा कपड़ा बुनता देख कर आखों में आंसू भर कर कहा वहाँ के जुलाहों को कहा
उह ठगवाडा ठगी देश
खरा सियाणा बहुता भार
धाणक रूप रहा करतार।
फिर कविर परमात्मा ने उन्हें सतनाम दिया । नानक जी देश विदेशों में घूम-घूम कर परमात्मा का ज्ञान प्रचार करने लगे
परमात्मा का संकेत हुआ नानक साहेब जी ने अपने जीवन के अंतिम 4 वर्ष अपने घर पर रहे खेती की ओर जो उनके पास आता उनको ज्ञान भी समझाते । फिर परमात्मा ने सार नाम दिया और गुरु नानक देव जी का मोक्ष हुआ।
अगर आप जानना चाहते है कि किस नाम के जप से नानक साहेब का मोक्ष हुआ तो
जरूर देखिए कात्यायनी tv चैनल पर रात्रि 8 बजे से
अधिक जानकारी के लिए यहाँ visit करे
फिर तीन दिन बाद नानक साहेब जी वापस लौटे ओर प्रथम उदासी काशी शहर वर्तमान वारणशी को की फिर वहा परमात्मा को एक झोपड़ी में बैठा कपड़ा बुनता देख कर आखों में आंसू भर कर कहा वहाँ के जुलाहों को कहा
उह ठगवाडा ठगी देश
खरा सियाणा बहुता भार
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फिर कविर परमात्मा ने उन्हें सतनाम दिया । नानक जी देश विदेशों में घूम-घूम कर परमात्मा का ज्ञान प्रचार करने लगे
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